Friday 11 April 2014

Hanuman Ji will now come back after 41 years

Hanuman Ji will now come back after 41 years

 रामायण काल में अपनी लीलाएं समाप्त करके भगवान राम तो स्वर्ग लौट गए लेकिन हनुमान जी को यह वरदान था की उनकी कभी मृत्यु नहीं होगी। भगवान राम के स्वर्ग में लौट जाने के बाद हनुमान जी दक्षिण भारत के जंगलों में प्रवास करने चले गए। श्री लंका में प्रचलित रामायण के अनुसार हनुमान जी फिर समुद्र पार करके लंका भी गए जहाँ पर रावण वध के पश्चात् विभीषण का धर्म का राज्य स्थापित था।

लंका में वे अशोक वन भी गए जहाँ पर रावण ने सीता को बंदी बनाया था। अशोक वन में जाकर वो माता सीता और भगवान् राम को याद करके भावुक हो गए और उन्होंने कुछ समय वही पर उसी जंगल में प्रवास करने का निश्चय किया। वे भगवान् राम की भक्ति में लीन हो गए। उस जंगल में रहने वाले आदिवासियों और वानरों ने उनकी सेवा की। हनुमान जी ने उनको ब्रह्मज्ञान दिया।

उस जंगल में अपना प्रवास ख़त्म करके वो जाने लगे तो उन्होंने अपने उन भक्तों को विश्वास दिलाया कि वह स्थान युगों तक वैसा का वैसा रहेगा। चाहे पूरी दुनिया में माया अपना जाल फैला ले और कलियुग अपनी कुंडली मार ले लेकिन वह जंगल वैसा का वैसा ही रहेगा और वे वहाँ हर 41 साल बाद प्रवास करने आयेंगे।
हनुमान जी के चरण सीता एलिया की पहाड़ी पर

हनुमान जी की लीला देखिये। आज हर तरफ कलियुग का बोलबाला है। सभी धार्मिक स्थान आधुनिक और भौतिक हो गए हैं लेकिन यह जंगल वैसे का वैसा है। इसका सिर्फ नाम बदला है। अब इसे सीता एलिया कहा जाता है। यहाँ तक कि हनुमान जी के चरणों के निशान भी रामायण काल से ज्यों के त्यों सीता एलिया की पहाड़ी पर अंकित हैं। यहाँ के जंगलों में अब भी आदिवासी और वानर रहते हैं जिनसे मिलने हनुमान जी हर 41 साल बाद आते हैं। जी हाँ साक्षात् हनुमान जी आते हैं। पर वे आधुनिक समाज के लोगों को दिखाई नहीं देते। वे सिर्फ अपने इन आदिवासी भक्तो और वानरों को दिखाई देते हैं। ये आदिवासी आधुनिक समाज के लोगों से अब तक कटे हुए हैं। पिछले 41 साल में इनके परिवार में जो नए सदस्य पैदा हुए हैं वे हनुमान जी को फल भेंट करते हैं। हनुमान जी उन फलों के साथ उन भक्तों के पिछले जन्म के पापों को भी ग्रहण कर लेते हैं। इससे भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। फिर हनुमान जी उन्हें ब्रह्मज्ञान देते हैं। इस प्रक्रिया को चरण पूजा भी कहा जाता है।

अभी हनुमान जी का प्रवास आधुनिक कलेंडर के अनुसार मई के अंत में ख़त्म होने वाला है। इस बार आधुनिक समाज के भक्तों को भी चरण पूजा के माध्यम से हनुमान जी की सेवा का सुख प्राप्त हुआ। इस सेवा के लिए श्री लंका सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सेतु नामक संस्था का गठन किया। आधुनिक समाज के भक्तों ने सेतु की वेबसाइट www.setu.asia के माध्यम से अपनी जन्म तिथि आदि सूचनाये और फलों की भेंट भेजकर घर बैठे ही चरण पूजा में हिस्सा लिया और अपने जीवन को कृतार्थ किया। अभी हनुमान जी का प्रवास ख़त्म होने को है। मई के महीने में अंतिम चार चरण पूजा होनी हैं जिनके लिए बुकिंग करीब करीब बंद हो चुकी हैं। अब हनुमान जी 41 साल बाद लौटेंगे। जिन भक्तों ने इस प्रवास के दौरान अपने लिए चरण पूजा करवाई वे भक्त धन्य हो गए। हनुमान जी के आशीर्वाद के रूप में उनकी कुछ न कुछ इच्छाएं जरुर पूरी हुई हैं।

सेतु के निर्देशक डॉ. ए वी रमण के अनुसार जो लोग सच में ब्रह्मज्ञानी होते हैं वे कभी इस बात का दिखावा नहीं करते। यही कारण है कि ये आदिवासी लोग आज तक आधुनिक समाज से कटे हुए हैं। सेतु के माध्यम से पहली बार आधुनिक समाज के लोग भी इनसे जुड़े और चरण पूजा की दिव्य शक्तियों को अनुभव किया। चरण पूजा तो अब अगले 41 साल तक बंद रहेगी लेकिन सेतु एशिया इनके ब्रह्मज्ञान को आधुनिक समाज तक पहुँचाने का प्रयास करता रहेगा।

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